चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बेतुके आरोपों के साथ कागजी तौर पर बड़ी याचिका अकेले मामले को पर्याप्त मजबूत नहीं सकती। हाई कोर्ट के जस्टिस अनूप चितकारा ने कपूरथला अदालत द्वारा पूर्व कुलपति रजनीश अरोड़ा के खिलाफ मामले को रद्द करने को चुनौती देने वाली पंजाब तकनीकी विश्वविद्यालय (पीटीयू) कपूरथला के पूर्व डीन एनपी सिंह द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए ये आदेश पारित किए हैं।
हाई कोर्ट ने कहा कि अव्यवस्थित आरोपों और एक ही बात को कई बार दोहराने वाली यह भारी-भरकम याचिका केवल शिकायत और याचिका में पृष्ठों की संख्या बढ़ाने से ज्यादा कुछ नहीं है। यह केवल कागजी तौर पर एक भारी, लेकिन आधारहीन याचिका है। हाई कोर्ट ने कहा कि इस याचिका में दुर्भावनापूर्ण इरादे, अनियमितताओं के बेबुनियाद आरोपों का समर्थन या पुष्टि करने के लिए कोई सबूत नहीं है, जिस आदेश के माध्यम से सत्र न्यायालय ने अरोड़ा के खिलाफ केस रद करने की रिपोर्ट को स्वीकार किया वह विस्तृत और तर्कसंगत है और इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
HC ने सबूतों को अदालत में ले जाने लायक नहीं पाया
प्रथम दृष्टया केवल तभी मामला बनता है जब यह दस्तावेजी सबूतों से साबित होता है, जिसकी इस मामले में कमी है।एनपी सिंह की याचिका को खारिज करते हुए पीठ ने यह भी कहा कि जांचकर्ता ने आरोपों की विस्तार से जांच की है और सबूतों को अदालत में ले जाने लायक नहीं पाया। यह निष्कर्ष निकालना अन्वेषक का विशेषाधिकार है कि एकत्र किए गए साक्ष्य अभियोजन शुरू करने के लिए मामला बनाते हैं या नहीं। इसमें अन्वेषण की अक्षमता या किसी पूर्वाग्रह का कोई आरोप नहीं है।
इसके अलावा केस क्लोज करने की रिपोर्ट को पढ़ने से पता चलता है कि अन्वेषक ने उलझे हुए आरोपों से निपटने के लिए कितनी मेहनत की है। हांलाकि, हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाने की प्रतिवादी पक्ष की दलील को यह कहते हुए स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि वह एक शिक्षाविद है। अपनी याचिका में, पीटीयू कपूरथला के पूर्व डीन (दूरस्थ शिक्षा) एनपी सिंह ने विशेष न्यायाधीश कपूरथला द्वारा पारित 21 सितंबर, 2020 के आदेश को रद्द करने के निर्देश देने की मांग की थी, जिसके तहत क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करते समय उनके द्वारा दायर विरोध याचिका पर विचार नहीं किया गया था।
विश्वविद्यालय के पूर्व वीसी रजनीश अरोड़ा और अन्य के खिलाफ जनवरी 2018 में दर्ज भ्रष्टाचार के एक मामले में निचली अदालत ने पुलिस द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट को भी स्वीकार कर लिया था। कपूरथला की निचली अदालत ने क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार करते हुए कहा था कि मामले की जांच में एफआईआर में उल्लेखित किसी भी आरोपी को फंसाने के लिए कोई सबूत नहीं है। याचिका को खारिज करते हुए, हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि अदालत ने विरोध याचिका की सामग्री का अध्ययन किया है, जिसमें प्रारंभिक शिकायत में लगाए गए आरोपों के अलावा कुछ भी नहीं है। ऐसे सभी आरोपों की जाँच अन्वेषण द्वारा की गई, जिसे किसी भी अनियमितता के लिए कोई सबूत या पुष्टिकारक सामग्री नहीं मिली, जिसे किसी भी अनियमितता के लिए कोई सबूत या पुष्टिकारक सामग्री नहीं मिली।