लुधियाना। पराली जलाने वाले किसानों पर सख्ती बरतने को लेकर जिला प्रशासन भले ही बार-बार चेतावनी दे रहा हो, लेकिन इसके बावजूद खेत जल रहे हैं। जिले में बड़े स्तर पर खेतों में पराली फूंकी जा रही है। इससे जिले की आबोहवा की स्थिति लगातार खराब चल रही है और लोगों की सेहत बिगड़ रही है।
144 मामले आए सामने
दीपावली के बाद भी प्रदूषण का स्तर कम नहीं हो रहा। बुधवार को जिले में पराली जलाने के 144 मामले सामने आए। इनमें से पराली जलाने के सबसे अधिक 63 मामले जगराओं में देखे गए। इसके बाद लुधियाना ईस्ट और पायल व रायकोट में ज्यादा पराली जलाई गई।
पराली जलने की वजह से जिले में एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी की हवा की गुणवत्ता 289 के स्तर पर रही, जो कि खराब श्रेणी में आती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार लगातार अत्याधिक प्रदूषित हवा के संपर्क में रहने से लोगों को स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं होने का खतरा रहता है।
मरीजों के लिए प्रदूषित वातावरण बेहद खतरनाक
खासकर, श्वास संबंधी रोगों से जूझने वाले मरीजों के लिए तो प्रदूषित वातावरण बेहद खतरनाक हो जाता है। हालांकि जिला प्रशासन अब भी दावे कर रहा है कि पराली जलाने के मामलों में कमी आई। पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक 15 नवंबर तक जिले में पराली जलाने के कुल 1524 मामले रिपोर्ट हुए हैं।