जालंधर। क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) यानी कि लंबे समय तक फेफड़ों में समस्या आने से सांस लेने में परेशानी होना। जो इस वर्ष 15 नवंबर यानी आज वर्ल्ड सीओपीडी दिवस है और इस दिन को जागरूकता के रूप में मनाया जाता है। इस बिमारी का इलाज संभव नहीं है और जागरूकता के जरिये व समय पर परेशानी का पता लगने पर ही मरीज को इलाज संभव हो सकता है।
फेफड़े बुरी तरह से हो जाते हैं खराब
इस बीमारी में फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं निरंतर बढ़ती जाती है। डॉक्टरों के अनुसार इसका इलाज जागरूकता के साथ ही संभव है। क्योंकि दमे जैसे बीमारी अगर बिगड़ जाए या अनियंत्रित हो जाए तो सीओपीडी में बदल जाती है। इस बीमारी के दौरान फेफड़े बुरी तरह से खराब हो जाते हैं और मरीज को सांस लेने में भारी दिक्कत होने लगती है। इस बीमारी से ग्रस्त अधिकतर वे होते हैं जो धूम्रपान अधिक करते हैं या धुएं के संपर्क में रहने वाले।
इस स्थिति में धुएं में मौजूद हानिकारण रसायन फेफड़ों की नुकसान पहुंचते हैं। समय पर इसका पता लगने पर ही दवा से इलाज हो सकता है। छाती रोग विशेषज्ञ डा. विनीत महाजन कहते हैं कि सीओपीडी में मरीज में जागरूकता ही उसका इलाज है। क्योंकि इससे ग्रस्त होने वाले मरीजों में सांस फूलने, खांसी, बलगम बनने, छाती में जगड़न जैसे लक्ष्ण पाए जाते हैं। स्थिति निरंतर बिगड़ती रहता है।
सीओपीडी के लक्षण
वायु प्रदूषण के दौरान इसके मरीजों की संख्या में निरंतर बढ़ौतरी होती हैं और मरीज की स्थिति सुधरने में एक महीने तक का समय लग जाता है। जिन्हें सांस लेने संबंधी परेशानी आती है वे डॉक्टरी जांच व सलाह उपरांत ही इनहेलर का इस्तेमाल कर सकते हैं। जानें क्या हैं सीओपीडी के लक्षण अधिक समय तक खांसी और बलगम की परेशानी आना।
खासी अधिक रहने की वजह से छाती में जकड़ना से महसूस होना श्वास लेने में दिक्कत आना या सांस फूलना। सीओपीडी से ग्रस्त होने से जाने कैसे बचें सीओपीडी से संबंधित लक्षण पाए जाने पर तुरंत डाक्टरी चैकअप करवाने पर जांच करवाई। इनहेलर का नियमित रूप से इस्तेमाल करना। चूल्हे संतुलित आहार करना और धूम्रपान या धुएं के संपर्क में रहने से बचना। फिर चाहे चूल्हे का धुआ ही क्यूं न हो।