जालंधर। कूड़ा प्रबंधन के सभी प्रोजेक्ट फेल होने के बाद नगर निगम अब वेस्ट टू कंपोस्ट प्लांट का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च करने जा रहा है। यह प्लांट एरोबिक तकनीक का होगा और मशीन में आक्सीजन की मदद से गीले कूड़े को खाद में बदलने की प्रक्रिया होगी। अगर यह प्रोजेक्ट सफल रहता है तो नगर निगम विभिन्न इलाकों में इस प्रोजेक्ट पर काम कर सकता है। यह प्लांट छोटी-छोटी जगह पर भी लगाए जा सकते हैं। नगर निगम पायलट प्रोजेक्ट के लिए 57 लाख की मशीन खरीद रहा है।
इसका टेंडर 21 नवंबर को ओपन होना है। पायलट प्रोजेक्ट फोलड़ीवाल सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट परिसर में लगाने की योजना है क्योंकि वहां पर विरोध की आशंका कम है। अगर प्लांट ठीक तरह से काम करता है तो इस माडल के तौर पर पेश किया जाएगा और बाकी जगहों पर भी ऐसे ही प्लांट लगाने की तैयारी की जाएगी।
जहां पर नगर निगम के पास अधिक जमीन है वहां पर एक से ज्यादा मशीन लगाई जा सकती है ताकि अधिक से अधिक कूड़े को खाद में बदला जा सके। निगम कमिश्नर ऋषिपाल सिंह ने दो दिन पहले मशीन की खरीद को लेकर एक्सईएन सुखविंदर सिंह से रिपोर्ट ली थी। एक्सईएन सुखविंदर सिंह ने कहा कि हेल्थ ब्रांच के लिए स्वच्छ भारत मिशन के फंड से यह मशीन खरीदी जा रही है। हेल्थ ब्रांच तय करेगा कि मशीन किस लोकेशन पर लगानी है। हालांकि पहली लोकेशन फोलड़ीवाल सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट ही है।
एरोबिक तकनीक से तीन दिन में कूड़े से खाद बनेगी
नगर निगम जो प्लांट स्थापित किए करने जा रहा है वह एरोबिक तकनीक पर आधारित है। नगर निगम के एक्सईएन सुखविंदर सिंह के अनुसार इस तकनीक से गीले कूड़े को प्लांट में डालकर 3 दिन में खाद में बदला जाएगा। इस तकनीक में ऑक्सीजन की मदद से ही मशीन कूड़े को खाद में बदलेगी और किसी भी केमिकल को मिलने की जरूरत नहीं है। खाद बनाने के लिए जिम्मेदार सूक्ष्मजीव कूड़े में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं और कार्बनिक पदार्थ के आसपास की नमी में रहते हैं। हवा से ऑक्सीजन नमी में फैल जाती है और रोगाणुओं द्वारा ग्रहण कर ली जाती है। प्लांट से यह प्रक्रिया और तेज होगी और 72 घंटे में कूड़ा खाद में बदल जाएगा। जो मशीन खरीदी जा रही है उसकी क्षमता 2 टन की है और इस मशीन से प्रदूषण भी काम होगा। ऐसे प्लांट कई शहराें में सफल रहे हैं और जालंधर में अगर इसका ट्रायल सफल रहा तो और भी मशीनें खरीदी जाएंगी।
पिट्स प्रोजेक्ट भी फेल हो रहा नगर निगम के वेस्ट मैनेजमेंट के सभी प्रोजेक्ट फेल होते आ रहे हैं। वरियाणा डंप साइट पर कूड़ा बनाने का कारखाना कई सालों से बंद पड़ा है। जमशेर में जन विरोध के कारण वेस्ट टू एनर्जी प्लांट नहीं लगाया जा सका। शहर के अलग-अलग इलाकों में छोटे-छोटे प्लांट लगाने की प्रक्रिया भी विरोध के कारण रोक दी गई थी। उसके बाद पिट्स प्रोजेक्ट लॉन्च किया गया लेकिन स्टाफ की कमी और निगम अधिकारियों की लापरवाही प्रोजेक्ट पर भारी पड़ गई। यह प्रोजेक्ट सस्ता और अच्छा है लेकिन निगम का सिस्टम ठीक ना होने से पिट्स प्रोजेक्ट फेल हो रहे हैं। अब नए सिरे से एरोबिक तकनीक के प्लांट का ट्रायल होगा।
बायोमाइनिंग प्रोजेक्ट भी अटका
वरियाणा डंप साइट पर जमा पुराने कपड़े को खत्म करने के लिए करीब 32 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट भी शुरू नहीं हो पा रहा है। यह प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी कंपनी के फंड से किया जाना है लेकिन बार-बार टेंडर लगाने के बावजूद भी कोई कंपनी काम करने के लिए आगे नहीं आ रही है। जो कंपनियां काम करने के लिए आगे आई थी वह तकनीकी आधार पर डिसक्वालीफाई हो गई है। ऐसे में नए सिरे से टेंडर लगाने की तैयारी है। इस बीच डंप साइट पर करीब 10 लाख मीट्रिक टन कूड़ा इकट्ठा हो चुका है और इसे खत्म करने में ही 4 साल का समय लग जाएगा।